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उत्तराखंड के कुटी गांव का नजारा

उत्तराखंड का एक ऐसा अनोखा गांव कहते है की जिंदगी अपने ढंग से जीने का एक अलग ही मज़ा है कुटी गांव उत्तराखंड: धारचूला के व्यास वैली का खूबसूरत गांव कुटी 12’500 फिट की ऊंचाई में स्थित हैं. गांव में आय का मुख्य साधन कृषि हैं.कुटी से ही16 किमी का हाईकिंग कर ज्योलिंगकांग होते हुए आदि कैलाश एवं पार्वती सरोवर के दर्शन होते हैं.पाण्डवो का उत्तराखण्ड से गहरा नाता रहा है। इसी कारण यहाँ पाण्डवखोली, पण्डुवाखाल, लाखामडल (लाक्षागृह), चकराता (एकचक्रनगरी), पाडव सेरा (मदमहेश्वर) जैसी बहुत सी जगहो है जो उन्हे समर्पित है।

पाण्डवो की माता कुन्ती के सम्मान में  गाँव का नाम

कुटी गाँव और वहाँ के लोगो  द्वारा बताया जाता है कि पांडव जब स्वार्गारोहण को जा रहे थे तो इस स्थान पर लम्बे वक़्त के लिए रुक गए थे। पांडवो की माँ कुंती को ये जगह बहुत भा गयी थी, इस कारण बाद में इस जगह को कुटी के नाम से जाना गया।

आदि कैलाश से पहले पड़ने वाला ये भारत का अंतिम गाँव है जो लगभग 11500 फ़ीट की ऊंचाई पर है। करीब 300 लोगो की आबादी वाले इस गांव में यहाँ के लोगो ने अभी भी पुराने मकानों को अच्छे रखरखाव के साथ संजोया हुआ है। घरों के खिड़की और दरवाजो पर की गयी कलाकारी मन मोह लेती है। इतनी ज्यादा ऊंचाई पर भी बड़े बड़े सीधे मैदान देखना आश्चर्यजनक लगता है।जाड़ो की भयानक सर्दियों में अत्यधिक बर्फ के कारण ज्यादातर लोग धारचूला या अन्य गरम जगहों में चले जाते है। कुछ लोग जो वही रहते हैं वो सूखा मीट और अन्य खाद्य साधनों के साथ अपना गुजारा करते है।
यहाँ के लोग बहुत मिलनसार होते है और यहाँ आने वाले यात्रियों का हृदय से स्वागत करते हैं। सबसे खास बात है कि ये लोग हमेशा अपने चेहरे में मुस्कान लिए रहते है, जिसे देखते हुए यात्री अपनी कठिन यात्रा की सारी थकान भूल जाते हैं। जिन कठिन परिस्थितियों में यहाँ के लोग खुशी खुशी अपना जीवन यापन करते है, वो वाकई सीखने लायक है।
जून से सितंबर तक का समय यहाँ यात्रा करने के सबसे बढ़िया है

 

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