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PAHADI__A__CAPPLLA

संगीत के क्षेत्र में उत्तराखंड राज्य का अपना महत्व है । यहाँ अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है । यहाँ के मुख्य वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊ, मशकबीन, रणसिंहा, हुड़की, बिणाई,ताली आदि हैं ।ऐसे ही एक क्रिएटिव गाना और संगीत जो युवाओ के बीच फेमस हो रहा है

PAHADI__A__CAPPLLA आज तक हमने जितने भी पहाड़ी गाने सुने उन सब गानों में अलग अलग इंस्ट्रूमेंट सुने होंगे !

जिसमे लोक संस्कृति और आधुनिक तकनीक का शानदार मिश्रण रहता है जिससे उत्तराखडं के सभी लोक अपनी संस्कृति से आसानी से जुड़ जाते है   Pahadi A काप्पेल्ला में  पहाड़ में हर जगह दिखने वाले लोक वाद्ययंत्र रणसिंह, कांसे की थाली, तुरही, डौंर, दमाऊं को वौइस् से संगीत दिया है
जिसमें वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि अलग अलग तरह की आवाजों को मिलाकर संगीत तैयार होता है।
Pahadi A काप्पेल्ला में जिस तरह से वौइस्  से उत्तराखडं  लोक वाद्ययंत्र  को म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट निकली है जो की बहुत क्रिएटिव है  वर्तमान में लोक संस्कृति हो या फिर लोक वाद्य या लोक कला, ये सभी चीजें अपनी अंतिम सांसे गिन रही हैं। वही गुंजन विशाल और रणजीत जैसे युवा अपनी संस्कृति को दोबारा उजाकर कर रहे है गुंजन डंगवाल के पहाड़ी संगीत को आज के युवाओ बहुत पसंद करते है . उनकी बनाई गयी धुन चेता की चेतवाल ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे

पहाड़ी कप्पेला गीत बेहतरीन चुगल बंदी गुंजन, विशाल और रणजीत जी तीनो ने बहुत अच्छा काम किया है

हमारा एकमात्र प्रयास है अपनी लोकसंस्कृति को विश्वभर में फैलाना। जय देवभूमि उत्तराखंड।
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देवभूमि उत्तराखंड के रंग यूथ उत्तराखंड के संग🙏

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