न्याय के देवता महासू Spiritual by TeamYouthuttarakhand - June 8, 2020April 13, 2021 न्याय के देवता महासू का संबंध देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर से है, जिनका मुख्य मंदिर हनोल में पड़ता है। मिश्रित स्थापत्य शैली के इस मंदिर का निर्माण नवीं सदी में हुआ माना जाता है। कहते हैं कि पांडवों ने भी माता #कुंती के साथ कुछ वक्त इसी स्थान पर गुजारा था। उत्तराखंड में लोक देवताओं से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें सबसे रोचक है लोक देवता महासू की कथा। न्याय के देवता के रूप में प्रतिष्ठित महासू देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर से संबंध रखते हैं। इनका मुख्य मंदिर टोंस #नदी के पूर्वी तट पर चकराता के पास हनोल गांव में स्थित है, जो कि त्यूणी-मोरी मोटर मार्ग पर पड़ता है। हनोल शब्द की उत्पत्ति यहां के एक ब्राह्मण हूणा भाट के नाम से #मानी जाती है। इससे पहले यह जगह चकरपुर के रूप में जानी जाती थी। द्वापर युग में पांडव #लाक्षागृह (लाख के घर) से सुरक्षित निकलकर इसी #स्थान पर आए थे। समुद्रतल से 1250 मीटर की #ऊंचाई पर बना मिश्रित स्थापत्य शैली का यह मंदिर #नवीं सदी का #माना जाता है #महासू असल में एक देवता नहीं, बल्कि चार देवताओं का $सामूहिक नाम है। स्थानीय भाषा में# महासू शब्द ‘महाशिव’ का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं। #इनमें बासिक महासू सबसे बड़े हैं, #जबकि बौठा महासू, पबासिक महासू व चालदा महासू दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर के हैं। #बौठा महासू का मंदिर #हनोल में, बासिक महासू का मैंद्रथ में और पबासिक महासू का मंदिर बंगाण क्षेत्र के #ठडियार व देवती-देववन में है। जबकि, #चालदा महासू हमेशा#जौनसार-बावर, #बंगाण, फतह-पर्वत व #हिमाचल क्षेत्र के प्रवास पर रहते हैं। इनकी पालकी को क्षेत्रीय लोग पूजा-अर्चना के लिए नियमित अंतराल पर एक जगह से दूसरी #जगह प्रवास पर ले जाते हैं। #देवता के #प्रवास पर रहने से कई खतों में #दशकों बाद चालदा महासू के दर्शन #नसीब हो पाते हैं। कुछ इलाकों में तो देवता के दर्शनों की चाह में पीढ़ियां गुजर जाती हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, #रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, #शिमला, #बिशैहर और जुब्बल तक #महासू देवता को इष्ट देव (कुल देवता) के रूप में पूजा जाता है। #इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मंदिर को #न्यायालय के रूप में मान्यता मिली हुई है। #महासू मंदिर हनोल के परिसर में सीसे के दो #गोले मौजूद हैं, जो पांडु पुत्र भीम की ताकत का अहसास कराते हैं।मान्यता है कि भीम इन गोलों को कंचे (गिटिया) के रूप में इस्तेमाल किया करते थे। आकार में छोटे होने के #बावजूद इन्हें उठाने में बड़े से बड़े #बलशालियों के भी पसीने छूट जाते हैं। इन गोलों में एक का वजन छह मण (240 किलो) और दूसरे का नौ मण (360 किलो) है। #हनोल स्थित मंदिर Share on Facebook Share Share on TwitterTweet Share on Pinterest Share Share on LinkedIn Share Share on Digg Share