Famous Singer Of Uttarakhand Entertainment by TeamYouthuttarakhand - December 10, 2017January 5, 2018 Narendra Singh Negi नरेंद्र सिंह नेगी (स्वर सम्राट, गढरत्न) नरेन्द्र सिंह नेगी जी उत्तराखण्ड के मशहूर लोक गीतकारों में से एक है। उन्हें स्वर सम्राट और गढरत्न की उपाधि से भी नवाजा गया है, कहा जाता है कि अगर आप उत्तराखण्ड और वहाँ के लोग, समाज, जीवनशैली, संस्कृति, राजनीति, आदि के बारे में जानना चाहते हो तो, या तो आप किसी महान-विद्वान की पुस्तक पढ लो या फिर नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाने/गीत सुन लो। नेगी जी ने जीवन के हर पहलू, हर रिश्ते, हर त्यौहार के साथ-साथ जल, जंगल, जमीन, हवा, हर रिवाज और संस्कृति पर गीत लिखे हैं, दुनिया में कुछ भी उनके गीतों से अछूता नहीं। श्री नेगी जी सिर्फ एक मनोरंजन-कार ही नहीं बल्कि एक गीतकार, कलाकार, संगीतकार और कवि होने के साथ-साथ महान व्यक्तित्व के धनी भी हैं. जो कि अपने परिवेश को लेकर काफी भावुक व संवेदनशील है। नेगी जी का जन्म 12 अगस्त 1949 को पौड़ी जिले के पौड़ी गाँव (उत्तराखण्ड) में हुआ। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत पौड़ी से की थी और अब तक वे दुनिया भर के कई बडे बडे देशों मे गा चुके हैं, साथ ही कई एल्बम भी रिलीज कर चुके हैं।साथ ही उत्तराखंड के राज्य गीत में भी वह आवाज और संगीत दे चुके हैं। उत्तराखण्ड के इस मशहूर गायक के गानों मे मात्रा (क्वांटिटी) की बजाय गुणवत्ता/योग्यता (क्वालिटी) होने के कारण ही लोग उनके गानों को बहुत पसंद करते हैं। नेगी जी के गानों में अहम बात है उनके गानों के बोल (लिरिक्स) और उत्तराखण्ड के लोगों के प्रति भावनाओं की गहरी धारा। उन्होंने अपने गीतों के बोल और आवाज के माध्यम से उत्तराखण्डी लोगों के सभी दुख-दर्द, खुशी, जीवन के पहलूओं को दर्शाया है। उनके प्रभावशाली गीतों के लिए उन्हें कई बार पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। नेगी जी केवल वास्तविकता में विश्वास रखते हैं। इसीलिए उनके सभी गाने वास्तविकता पर आधारित होते हैं और इसी कारण नेगी जी उत्तराखण्ड के लोगों के दिल के बहुत करीब है। गढवाली गायक होने के बावजूद नेगी जी को कुमाऊंनी लोग भी उन्हें बहुत पसंद करते हैं। नेगी जी “गुलजार साहब” के काम को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि गुलजार की पुराने व नए रचनाओं में एक गहरा अर्थ होता है। गाना गाने के साथ ही नेगी जी लिखते भी हैं।अब तक नेगी जी की 3 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं। Meena Rana मीना राणा(त्तराखंड की स्वर कोकिला) मीना राणा पारम्परिक उत्तराखण्डी गायिका हैं, उन्होंने कई गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी एल्बमों में अपनी आवाज दी है। मीना राणा उत्तराखण्ड की महान गायिकाओं में से एक हैं, उन्हें उत्तराखण्ड की लता मंगेशकर तक कहा जाता है। मीना राणा जी का जन्म 24 मई , 1975 को मंसूरी में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा बटलर मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रायपुर रोड़ दिल्ली से और 10 वी से आगे की पढ़ाई के लिए वह अपनी बडी बहन के साथ मंसूरी गर्ल्स इंटर कॉलेज मंसूरी उत्तराखण्ड आ गयी थी। मीना राणा जी की शादी उत्तराखण्ड के जाने माने संगीतकार संजय कुमोला से हुयी और पुनः दिल्ली बस गयी। संजय कुमोला संगीतकार होने के साथ-साथ सुरभि म्यूजिक स्टूडियो (Multi Track Sound Studio) चलाते हैं जो कि उनकी पुत्री सुरभि के नाम से है। मीना राणा ने संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली है, वह बचपन से ही लता मंगेशकर जी की बहुत फैन थी। उन्होंने गायन की शुरुआत बचपन में ही शुरू कर दी थी जब वह पढाई कर रही थी। मीना राणा जी को पहला ब्रेक 1991 में फिल्म “नौनी पिछाडी नौनी” में मिला जब वह हाईस्कूल में पढ़ रही थी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, उन्होंने उत्तराखण्ड के लगभग सभी गायकों के साथ गाने गाये हैं जैसे नरेंद्र सिंह नेगी, विरेंद्र डंगवाल, विरेंद्र राजपूत, गजेन्द्र राणा, चन्द्र सिंह राही, अनिल बिष्ट, मंगलेश डंगवाल, किशन महिपाल, ललित मोहन जोशी, प्रीतम भरतवाण, प्रहलाद मेहरा, पप्पू कार्की, जितेंद्र तोमक्याल अादि हैं। मीना राणा ने गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी, जौनपुरी, भोजपुरी, राजस्थानी, कारगली, बाल्टी और हिन्दी भाषाओं में गीत गाए हैं। अपने सफल गायकी कैरियर के दौरान उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं। जिनमें तीनों “Young Uttarakhand Cine Award” “बेस्ट गायिका” के तौर पर 2010 से 2012 तक लगातार और “Young Uttarakhand Cine Award” महत्वपूर्ण हैं। kishan Mahipal #किशन_महिपाल लोकगायक किशन महिपाल उत्तराखंड की दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र बद्रीनाथ से हैं। उत्तराखण्ड के पारंपरिक स्थानीय लोकगीतों को अपनी आवाज की मधुरता देकर आज वह उत्तराखंड-सिनेमा के गायकों में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। किशन महिपाल की आवाज मधुर होने के साथ-साथ मखमली भी है, जो श्रोताओं को सुनने के साथ झूमने को मजबूर कर देती है। गायक, गीतकार, निर्देशक, कैमरामेन और प्रतिभाशाली कलाकार के तौर पर किशन महिपाल युवाओं की पहली पंसद हैं साथ ही उन्होंने युवाओं के दिलों में खास जगह बना ली है। पिछले कुछ वर्षों में उनका नाम उत्तराखण्डी संगीत की ऊँचाइयों पर उभरकर आया है। किशन महिपाल का जन्म 1 जनवरी 1979 को ग्राम इन्द्रधारा, बद्रीनाथ, उत्तराखंड के एक परिवार में हुआ । उन्हें बचपन में रमेश नाम से जाना जाता था। उनकी माँ श्रीमती जेट्ठी देवी है जो कि एक गृहणी हैं, और पिता स्व. श्री नारायण सिंह एक किसान थे। किशन महिपाल ने अपनी उच्च स्तरीय पढाई पी. जी. कालेज गोपेश्वर चमोली से संपन्न की। वर्ष 2003 में वह पी.जी. कालेज के स्टूडेन्ट लीडर भी रह चुके हैं। किशन की बचपन से ही संगीत की और दिलचस्पी थी इसीलिए वो एनुअल फंक्शन व सांस्कृतिक प्रोग्राम्स में अपनी प्रस्तुतियां देते थे। किशन महिपाल द्वारा कुछ समय पहले गाया गीत #फ्योंलणिया ने सफलता के नये आयाम दर्ज किए, इस गीत के हिट होने का आलम यह था कि लोग इस गीत के वीडियो का काफी समय से इंतज़ार कर रहे थे और रिलीज होने के दो दिन में ही लाखों लोगों ने इसे देखा। इसके अलावा किशन महिपाल के घुघूती, स्याली बंपाली,सोबनी बाना, ओ भाना रंगीली भाना गीत काफी हिट हुए। आजकल उनका नया गीत “मेरी सुरीमा” भी खूब पसंद किया जा रहा है… । Share on Facebook Share Share on TwitterTweet Share on Pinterest Share Share on LinkedIn Share Share on Digg Share