Kainchi Dham – Maharajji Neem Karoli Baba Fair-Festivalis Spiritual by TeamYouthuttarakhand - December 9, 2017December 29, 2017 उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए हमेशा ही विश्वविख्यात रहा है, जो एक बार उत्तराखंड का भ्रमण करता है वह बार बार यहां खिंचा चला आता है। यहाँ जगह जगह बने मंदिरों में अलौकिक शक्ति महसूस होती है, यहां सरोवर नगरी से आगे 22 किमी० और भवाली से 8 किमी० पर अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है बाबा नीम करौली महाराज का सुन्दर मन्दिर, जो कि आस्था का प्रतीक है। देवभूमि उत्तराखंड की अलौकिक वादियों में से एक दिव्य रमणीक लुभावना स्थल है “कैंची धाम”। कैंची धाम जिसे नीम किरौली धाम भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता है। कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भवाली-अल्मोड़ा/रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पर स्थित है। 24 मई 1962 को बाबा ने पावन चरण उस भूमि पर रखे, जहां वर्तमान में कैंची मंदिर स्थित है। 15 जून 1964 को मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई और तभी से 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मंदिर चारों ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और मंदिर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम एवं सीता माता तथा देवी दुर्गा जी के भी छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। किन्तु कैंची धाम मुख्य रूप से बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आने पर व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं के हल प्राप्त कर सकता है। फेसबुक के संस्थापक #मार्क_जुकरबर्ग और एप्पल के #सीईओ भी बाबा के भक्त हैं और उनकी गहरी आस्था है साथ ही वह यहाँ आ भी चुके हैं। हर साल 15 जून को यहां स्थापना दिवस मनाया जाता है। बाबा नीम करौली महाराज जी की आस्था इतनी है कि यहां देश विदेश से लाखों की तादाद में लोग आकर बाबा की सेवा और प्रसाद ग्रहण करते हैं। भक्तों को कहना है कि बाबा जी को सिर्फ #मालपुवे बहुत पसंद थे, इसीलिए बाबा जी को गाय के घी से बने हुए मालपुवों का भोग लगाया जाता है, इसके बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटा जाता है। Maharajji Neem Karoli Baba नीम करौली बाबा या महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है जो कि हिरनगाँव से 500 मीटर दूरी पर है। महाराजजी इस युग के भारतीय दिव्यपुरुषों में से हैं।बाबा ने किसी प्रकार के दिखावे को नहीं अपनाया, जिससे लोग उन्हें साधु बाबा मानकर उनका आदर करते। उनके माथे पर न त्रिपुण्ड, ना गले में माला इत्यादि वे केवल एक धोती से निर्वाह करते रहे, बाद में उन्होंने एक कम्बल और ले लिया। कभी उनके आश्रम में ही कोई नया व्यक्ति उन्हीं से बाबा के बारे में पूछने लगता तो वह कहते, यहां बाबा-वाबा नहीं है, जाओ हनुमान जी के दर्शन करो। वह किसी को भी प्रभावित करना नहीं चाहते थे। बाबा जी में कई दैवीय विधमान थीं। उनके आगमन और विदा लेने का भी एक विशिष्ट तरीका था। वह अचानक ही मानो प्रकट हो जाते थे और विदा लेकर अचानक चल देते थे और लोगों को पीछे आने को मना करते थे, वे अचानक किसी मोड़ पर विलुप्त हो जाते थे। कहा जाता है कि उन्होंने हनुमान जी की उपासना की थी और अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त की थीं। बाबा जी गरीब भक्तों का मान बढ़ा देते थे एक बार बाबा महाराज जी लखनऊ में अपने एक भक्त के यहां रुके थे और वहां भक्तों की भीड़ के साथ घर का सेवक भी एक रुपया कमर में रखकर उनके दर्शनों के लिए वहां पहुंचा। उसके प्रणाम करते ही महाराज जी ने कहा तुम जो अपनी कमर में खोसकर मेरे लिए रुपया लाए हो वो मुझे देते क्यों नहीं..? उसने रुपया निकालकर दिया और महाराज जी ने उसे प्रेमपूर्वक ग्रहण करने के बाद अपने भक्तों से कहा इसका एक रुपया, आपके बीस हजार से अधिक मूल्यवान है। बाबा जी चमत्कारी थे, एक बार की बात है, बाबा के साथ हर एकादशी और पूर्णमासी को गोपाल नामक एक बहेलिया और एक मुसलमान गंगा-स्नान के लिए जाया करते थे। बाबा जी की इच्छा हुयी लेकिन रेलगाड़ी लगभग दो सौ मीटर फर्रुखाबाद की ओर जा चुकी थी। फिर क्या था, चलती गाड़ी एकाएक रुक गई, और बाबा जी और उनके परिचितों के बैठने के बाद ही गाड़ी चल पड़ी। चालक के लिए भी यह सब रहस्य बन कर रह गया। बाद में ग्रामवासियों के आग्रह पर भारत सरकार ने नीब करौरी ग्राम के इस स्थान पर अब लछमन दास पुरी रेलवे स्टेशन बना दिया है। जिस स्थान पर बाबा वास कर रहे थे वहां किसी संत के श्राप से वह भूमि पानी से वंचित थी। एक बार नि:सन्तान दुखी वैश्य ने बाबा से कहा कि मेरी कोई संतान नहीं है, बाबा ने उसे हंसते हुए कहा कि श्री हनुमान जी के मन्दिर के आगे कुआं खुदवा दे, तेरे लड़का हो जाएगा। परन्तु जब कुआं खोदा गया तो पानी खारा निकला, तब बाबा जी ने कहा कि कुछ बोरे चीनी के डलवा दो सदा के लिए मीठा हो जाएगा। ऐसा ही किया गया आज भी उस कुएं का जल मीठा है। कैंची धाम फेसबुक’ और ‘एप्पल’ संस्थापकों का आध्यात्मिक प्रेरणा-स्थल बाबा नीम करौली और उनका बसाया कैची धाम आस्था का दूसरा नाम है। आज यह धाम अलौकिक शक्ति केंद्र का रूप ले चुका है। बाबा नीम करौली के भक्त हर वर्ग से हैं। सफल उद्यमी हो या उच्च पदों पर आसीन कोई अधिकारी। हर कोई बाबा का भक्त है। फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग से लेकर एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स तक, हर किसी ने बाबा के चमत्कारों के आगे शीश नवाजा है। बाबा के दर पर अपने मन्नतें लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कभी भी कम नहीं रही, लेकिन विदेश तक बाबा की ख्याति होने के बाद से भक्तों की संख्या भी बढ़ी है। फेसबुक सीईओ ने जब एक कार्यक्रम में पीएम मोदी के समाने बाबा के चमत्कार के बारे में बताया था तब से यहां आने वाले भक्तों की संख्या भी बढ़ी है। हर साल 15 जून को कैची धाम में मेले का आयोजन किया जाता है। सिलिकॉन वैली में जुकरबर्ग ने मोदी से किया था इस मंदिर का जिक्र, कहा था-फेसबुक को खरीदने के लिए फोन आने के दौर में इस मंदिर ने दिया था परेशानियों से निकलने का रास्ता!जुकरबर्गजब 2011 के दौर में फेसबुक को खरीदने के लिए अनेक लोगों के फोन आ रहे थे, और वह परेशानी में थे । तब वे अपने गुरु एप्पल (दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी) के संस्थापक स्टीव जॉब्स से मिले। जॉब्स ने उन्हें कहा कि भारत जाओ तो उत्तराखंड स्थित बाबा नीब करौरी (अपभ्रंश नीम करोली) के कैंची धाम जरूर जाना। इस पर उन्होंने 2013 में एप्पल कंपनी के तत्कालीन प्रमुख टिम कुक के साथ कैंची धाम के दर्शन किए थे। इसी दौरान करीब एक वर्ष भारत में रहकर उन्होंने यहां लोगों के आपस में जुड़े होने को नजदीकी से देखा, और इससे उनका फेसबुक को एक-दूसरे को जोड़ने के उपकरण के रूप में और मजबूत करने का संकल्प और इरादा और अधिक मजबूत हुआ और उन्होंने फेसबुक को किसी को न बेचकर खुद ही आगे बढ़ाया। वहीं एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की बात करें तो स्टीव स्वयं अवसाद के दौर से गुजरने के दौर में 1973 में एक बेरोजगार युवा-हिप्पी के रूप में अपने मित्र डैन कोटके के साथ बाबा नीब करोलीके दर्शन करने आये थे, किंतु इसी बीच 11 सितम्बर 1973 को बाबा के शरीर त्यागने के कारण वह दर्शन नहीं कर पाए, लेकिन यहां से मिली प्रेरणा से उन्होंने अपने एप्पल फोन से 1980 के बाद दुनिया में मोबाइल क्रांति का डंका बजा दिया। जकरबर्ग के अलावा और भी कई अमरीकी हस्तियां इस आश्रम में आ चुकी हैं। इनमें हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल हैं। नीम करोली बाबा के भक्तों का मानना है कि वे हनुमानजी के अवतार थे। कैंची धाम मेला 15 JUNE 2017 Neem Karoli Baba नीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे। वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास में भी मंदिर हैं। कैंची आश्रम जहाँ बाबा अपने जीवन के अंतिम दशक में रहे थे उसका निर्माण 1964 में हुआ था। इसकी खास बात थी कि इस आश्रम में हनुमान जी का भी मंदिर बनावाया गया था। बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें उनका उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन तथा आर्शीवाद लेने के लिए आने लगे। बाबा ने अपने शरीर को 11 सिंतबर , 1973 को छोड़ दिया था और अपने भगवान हनुमान जी के सानिध्य में चले गये। बाबा हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत थे, माना जाये तो कलियुग में हनुमान जी ही नीम करौली बाबा के नाम से जाने गये थे। समये का साथ-साथ इन वर्षों में नैनीताल – अल्मोड़ा सड़क पर नैनीताल से 17 किमी स्थित मंदिर अब लोगों के महत्वपुर्ण तीर्थ बन गया है। 15 जून को जब कैंची धाम का मेला होता है तब मंदिर में लाखों श्रद्धालु आतें हैं और प्रसाद पातें हैं। फेसबुक तथा एप्पल के संस्थापकों मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा पश्चिमी देशों में भारत की विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके आश्रम में जहां न केवल देशवासियों को ही वरन पूरी दुनिया को प्रसन्न और खुशहाल बनने का रास्ता मिलता है वहीं दूसरी ओर प्राचीन सनातन धर्म की संस्कृति का भी प्रचार प्रसार होता है। हमेशा एक कम्बल ओढ़े रहने वाले बाबा के आर्शीवाद के लिए भारतीयों के साथ साथ बड़ी-बड़ी विदेशी हस्तियां भी उनके आश्रम पर आती हैं। !शेयर करें ताकि यह वीडियो अन्य लोगों तक पहुंच सके और हमारी संस्कृति का प्रचार व प्रसार हो सके। देवभूमि उत्तराखंड के रंग युथ उत्तराखंड के साथ ! 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