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माँ सुरकण्डादेवी मन्दिर

उत्तराखंड की धरती, जो कि देवी-देवताओं की भूमि कही जाती है। इस धरती पर ना जाने कितने ऐसे चमत्कार हैं, जो आपको कदम कदम पर नजर आते हैं। इन्हीं चमत्कारों में एक सबसे बड़ा चमत्कार है मां सुरकण्डा देवी का मंदिर।
माता का यह मंदिर #टिहरी जिले के जौनपुर प्रखंड में सुरकुट पर्वत पर स्थित है। यहां आने वाले किसी भी भक्त को देवी मां निराश नहीं करती। बताया जाता है कि यहां अद्भुत शक्तियों पर रिसर्च करने के लिए ब्रिटेन से वैज्ञानिकों की एक टीम आई थी। वैज्ञानिकों ने खुद माना है कि यहां एक अजीब सी शक्ति विचरण करती है। इस शक्ति को वैज्ञानिकों ने ऊर्जा का पुंज माना है। इस मंदिर को लेकर कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि यहां देवी सती के सिर का हिस्सा गिरा था।
सुरकण्डा मंदिर एक ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां आपको दिव्य और अलौकिक अनुभव होगा। ये एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि देवी मां खुद यहां आपको बुलाती है। गाहे-बगाहे आप खुद इस देवी मंदिर में चले आएंगे। आपने जो कभी सोचा नहीं होगा ऐसे चमत्कार आपको यहां मिलेंगे। स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां आने वाला कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं जाता।
कहा जाता है कि जब राजा दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार में यज्ञ किया तो पुत्री सती व उनके पति शंकर को आमंत्रित नहीं किया। इस अपमान से क्षुब्ध सती ने यज्ञ कुण्ड में प्राणों की आहुति दे दी। पत्‍‌नी वियोग में व्याकुल व क्रोधित भगवान शंकर सती के शव को लेकर हिमालय की ओर चल दिए। इस दौरान भगवान विष्णु ने महादेव का बोझ कम करने के लिए सुदर्शन चक्र को भेजा। इस दौरान सती के शरीर के अंग भिन्न जगहों पर गिरे। माना जाता है कि इस दौरान सुरकुट पर्वत पर सती का सिर गिरा तभी से इस स्थान का नाम सुरकंडा पड़ा।
चम्बा प्रखंड का जड़धारगांव देवी का मायका माना जाता है। यहां के लोग विभिन्न अवसरों पर देवी की आराधना करते हैं। मंदिर की समस्त व्यवस्था वही करते हैं। पूजा-अर्चना का काम पुजाल्डी गांव के लेखवार जाति के लोग करते है।
#Uttarakhand_Simply_Heaven

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